No products in the cart.

*_ मासुमियत*
फुदक फुदक कर खिलखिलाती है
हर रोज मनकों रिझाती हैं ।
मैं बताऊं क्या तेरी अहमियत
हर बार गवाही देती है तेरी मासुमियत ।
छोटी तो तू अभी है नहीं
पर ज्यादा हुई बड़ी भी नहीं ।
सिसक सिसक कर जब तू रोती हैं
दिख जाती हैं तेरी मासूमियत।
बेटा तो होता है भगवान का आशीर्वाद ।
बेटी तो है खुद भगवान का दिया वरदान ।
जब भी देखती हूं इंसानियत
मुझे याद आती हैं तेरी मासूमियत।
बेटी ममता की मूरत हैं
मुझे सदैव याद आती हैं तेरी मासूमियत।।
Rinkal Sejpal (Ahmedabad)